फूलों की घाटी

चमोली जिले के भ्युंडार-उपत्यका से सुसज्जित बुग्याल है, जो 3600 से 4000 मी0 में फैला है। इस घाटी की विशेषता यह है कि यहाँ अनेक प्रकार की क़िस्मों के पुष्पों कि प्रजाति है। यहाँ इस स्थित पुष्पों के अनेक शोध किए गए, जिनमें शोधकर्ताओं द्वारा यहा कहा गया कि विश्व में इतने प्रकार के अनेक अन्यत्र नहीं मिलते हैं।

सन 1931 में ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक सिडनी स्माइथ ने अपने साथी होल्ड्सवर्थ की सहायता से फूलों की 250 क़िस्मों का पता लगाकर 1947 में अपनी पुस्तक "फूलों की घाटी (वैली ऑफ फ्लावर) प्रकाशित की। लेकिन इतिहास की दृष्टि से यह भी कहा गया है कि यहीं पारिजात पुष्पों की खोज में भीमसेन आए थे। 1939 ई0 में क्यू बोटेनिकल गार्डन लंदन की ओर से 54 वर्षीय जॉन मारग्रेट लेग इस घाटी में फूलों कि प्रजातियों का अध्ययन करने आई थी, किन्तु 4 जुलाई को दुर्भाग्यवश फूलों का अध्ययन करने वह ढालदार पहाड़ी पर फिसल गयी, जिससे उनकी मृत्यु हो गयी और वह इस घाटी को विश्व-मानचित्र पर स्थापित कराते हुए इसी प्रकृतिक पुष्पशैय्या पर समाधिस्थ हो गई। उनकी समाधि पर अंकित यह शब्द प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।