उत्तराखण्ड प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ ही यहाँ साहसिक पर्यटन खेलों के भी आयोजन किया जाता रहा है। उत्तराखण्ड तीर्थ स्थलों के कारण विश्व में अपनी एक प्रख्याति के रूप में जाना जाता है, लेकिन प्राकृतिक संसाधनों के लिए भी प्रसिद्ध है। साहसिक खेलों में राफ्टिंग, स्कीइंग, ट्रेकिंग-पैदल यात्रा, रॉक क्लाइंबिंग, पैराग्लाइडिंग व हेंग ग्लाइडिंग, रज्जुमार्ग तथा वन विचरण इत्यादि हैं।
राफ्टिंग

स्कीइंग

ट्रेकिंग व पैदल यात्रा
पर्वतीय क्षेत्रों में भ्रमण करने व प्रकृति का आनंद लेने हेतु उत्तराखण्ड भी अपने आप में एक अलग ही पहचान रखने वाला राज्य है। इस यात्रा के लिए सबसे पहले साहस, अनुभव, प्रशिक्षण, धैर्य, क्षमता की अतिआवश्यकता होती है। उत्तराखण्ड में गढ़वाल-कुमाऊँ मण्डल विकास निगम अपने-अपने कार्यक्षेत्रों में राष्ट्रीय पर्वतारोहण संस्थान (एनआईएम) के सहयोग से अनुभवी मार्गदर्शक व अन्य सुविधाएं प्रदान करते हैं। प्रदेश में 100 से अधिक ऐसे पर्वत शिखर हैं जो 6000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित हैं। गढ़वाल मण्डल विकास निगम ऋषिकेश में मुनिकिरेती में माउंटेनियरिंग तथा ट्रेकिंग डिवीजन में सारे उपकरण उपलब्ध हैं। प्रदेश के कुछ ट्रेकिंग मार्ग इस प्रकार हैं:
गढ़वाल मण्डल

कुमाऊँ मण्डल
पिथौरागढ़-पार्वतीलेक-चोपता-कैलाश-सिनलापास, पिथौरागढ़-सुंदरढुंगा ग्लेशियर, बागेश्वर -सुंदरढुंगा ग्लेशियर, बागेश्वर-पिंडारी ग्लेशियर, बागेश्वर-कफ़नी ग्लेशियर, अल्मोड़ा-चितई-जागनाथ।
पहाड़ी व दुर्गम स्थानों के साथ चढ़ने के लिए प्रसिद्ध है। इसके लिए चमोली जनपद में थराली व तपोवन तथा टिहरी जनपद में कौड़ियाला प्रमुख स्थल है। इस अभियान के लिए भी प्रशिक्षण, साहस, धैर्य व अनुभव की भी आवश्यकता होती है। उत्तरकाशी में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान द्वारा इसके लिए सभी सुविधाएं व प्रशिक्षण देता है।
इस रोमांचकारी खेल में हवा में उड़ते हुए विचरण करने से है। इसके लिए होने वाले एयरो फाइल डैन, हैंग्लाइडिंग के डेनो से दस गुना हल्के होते हैं। इसी कारण पैराग्लाइडिंग अब लोकप्रिय होने लगा है। उत्तराखण्ड में भी पर्यटन को बढ़ावा देने के मकसद से इस साहसिक खेल का आयोजन किया जाने लगा है।
रज्जुमार्ग
उत्तराखण्ड पर्यटन दृष्टि से काफी हद तक अपने आप में एक प्रतीक है। इसी के मद्यनजर पर्यटन परिषद ने पर्वत श्रेणियों के साथ-साथ गहरी घाटियों से कई सौ मीटर ऊपर वायुमार्ग में विचरण करने हेतु एशिया के सबसे लंबे व सिंधुतल से 2500-3250 मीटर की ऊंचाई पर जोशीमठ-औली रज्जुमार्ग का निर्माण पर्यटन को विकसित करने के लिए किया गया। 3.9 किमी0 लंबा तथा 4.15 किमी0 के ट्रेक-मार्ग वाला यह रज्जु मार्ग 10 स्टील टावर्स, रिमोट कंट्रोल युक्त आधी आधुनिक से परिपूर्ण है।