9 नवंबर 2000 को भारत के 27वां राज्य के रूप में उत्तरांचल का जन्म हुआ, इससे पहले यह भाग उत्तर प्रदेश का हिस्सा रहा। राज्य गठन के पश्चात उत्तरांचल का नाम बदलकर उत्तराखण्ड रखा गया। उत्तराखंड की वर्तमान राजधानी देहरादून विस्थापित की गयी इसके साथ ही गैरसैण को भी अस्थाई राजधानी बनाने की प्रक्रिया शुरु की जा रही है। मध्य हिमालय के नाम से चर्चित उत्तराखण्ड हिमालय के मध्यवर्ती भाग का एक हिस्सा है। प्राचीन गाथाओं व ग्रन्थों में उत्तराखण्ड का विशेष महत्व मिलता है। उत्तराखण्ड को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। हिमालय की गोद में स्थित यह प्रदेश सर्वोच्च पर्वतों, कमल-वनों, बुगयलों, सुधानीरा गंगाओं आदि प्राकृतिक सौंदर्य से सुसज्जित है।

55845 किमी0 में फैला उत्तराखण्ड जहाँ 80 लाख जनसंख्या निवास करती है। उत्तराखण्ड में दो मण्डल गढ़वाल व कुमाऊँ मण्डल सम्मिलित हैं। गढ़वाल मण्डल में सात जिले-हरिद्वार, देहरादून, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली, जबकि कुमाऊँ मण्डल में जिले-नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, वागेश्वर, चंपावत, और उधमसिंह नगर। 

उत्तराखण्ड राज्य की पूर्वी अंतराष्ट्रीय सीमा नेपाल, उत्तरी सीमा दक्षिण पूर्व में हुमला (नेपाल) से तथा उत्तर-पश्चिम तिब्बत की सीमा स्थित है। उत्तराखण्ड हिमानी झीलों के लिए जितना प्रसिद्ध है, उतना ही बुग्याल के लिए भी प्रसिद्ध है, जिनमें फूलों की घाटी, बेदानी बुग्याल रूपकुंड, चोपता विश्वभर में अपनी एक अलग ही पहचान रखता है।

इस धरती पर आदिगुरु शंकराचार्य ने बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री चारों धामों की स्थापना की, जो की हिन्दू धार्मिक स्थलों में सर्वोत्तम स्थान रखता है। इतिहास के साथ ही यहाँ कई शिलालेख, ताम्रपत्र व प्राचीन स्थलों के अवशेष भी प्राप्त हुए। धार्मिक स्थलों के साथ ही यहाँ पवित्र गंगा का उदगम स्थल भी है। इस भूमि का पारम्परिक व देव संस्कृति की झलक भी विशेष रूप से देखने को मिलती है। धार्मिक नगरों के रूप में हरिद्वार व ऋषिकेश में धार्मिक शिक्षा व उपदेशों की पौराणिक आख्याओं के रूप में आज भी जीवित है।