चाँदपुरगढ़ी महल के अंश |
चाँदपुर मुल्क चमोली जिले के अन्तर्गत आने वाले गाँव आदिबदरी, तोप, कांसुआ, आली-मज्याड़ी, नौना, हरगाँव, देवालकोट, माथर, मलेठी, बेनोली, ऐरोली, डुंग्री, शैलेश्वर, कफलोड़ी, तोली व अन्य प्रमुख गाँव हैं। कर्णप्रयाग से एक आदिबद्री-गैरसैण मोटरमार्ग जो गैरसैण व कुमाऊँ मण्डल को जोड़ता है तो आदिबद्री से वही मोटर मार्ग देवलकोट को भी जोड़ता है और वहीं से नौटी होते हुए कर्णप्रयाग वापस पहुंचा जा सकता है, तो कर्णप्रयाग से इडाबधाणी, जाख, नौटी, बेनोली, देवलकोट होते हुए गैरसेंण या फिर आदिबद्री होते हुए कर्णप्रयाग पहुँचा जा सकता है। इस मुल्क को खासतौर पर नन्दा देवी राजजात यात्रा के प्रारम्भ पड़ावों के लिए जाना जाता है।
कर्णप्रयाग से गैरसेंण की दूरी लगभग 37 किमी0 के करीब है। यदि मोटर मार्ग की स्थिति समझें तो पहले से थोड़ा सुधार है, परंतु पर्वतीय क्षेत्र होने की वजह से बरसात में इन मार्गों पर भूस्खलन की परिस्थिति बनी रहती है। आदिबद्री में भगवान बद्रीनाथ का स्वरूप माना जाता है इसके साथ ही यहाँ पर 888 ई0 के समय में राजा कनकपाल और उनके बाद अजयपाल का महल था जो अब केवल एक धरातलीय ढांचे के रूप में यादगार के तौर पर पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है। इसी क्षेत्र में कांसुआ गाँव है जहां से नन्दा देवी राज जात यात्रा की भव्य शुरुआत होती है। तो दूसरी ओर प्रसिद्ध गाँव नौटी जहाँ नन्दा देवी का मंदिर भी स्थित है।
जन सुविधाओं के आधार पर इन क्षेत्रों में लोग अधिकतर खेती पर निर्भर होने के साथ ही अन्य कामों के जरिये अपनी आमदनी कमाते हैं, जबकि कई लोग रोजगार की तलाश में गाँव से शहर में निर्भर हो गए हैं। इसके साथ ही वर्तमान में नन्दासैण में आईटीआई कॉलेज व अन्य संस्थान भी खुल जाने के कारण लोगों को पहले से ज्यादा सुविधा मिल रही है।
आदिबद्री में सबसे प्रसिद्ध मेला नौठा कौथिग, शैलेश्वर मंदिर मेला जिसकी अवधि अब एक से ज्यादा दिन होने के साथ ही स्थानीय गाँव के लोगों द्वारा संगीत का भव्य आयोजन होता है। नन्दासैण में पर्यावरण संवर्द्धन मेला जो कि नवम्बर में करीब एक सप्ताह तक लगता है। यहीं से कफलोड़ी-पुनगाँव होते हुए बिरोंखाल (पौड़ी) के लिए भी एक मार्ग जाता है, हालांकि इस मार्ग पर बहुत कम वाहनों की आवाजही होती है। आए दिनों नन्दासैण में व्यापारिक बाजार के रूप में धीरे-धीरे विकसित होने लगा है, जो कि पहले कम ही रही।